‘रचनाएँ’

‘कृताश’

स्वनाम को सार्थक
करता एक प्रयास
संकल्प की मर्यादा है कृताश
उन्नयन और अभ्युत्थान की परिभाषा
उम्मीदी के रंग से सराबोर
कर्मवीर की पिपासा
आशा की उजली किरण
उम्मीद की रोशनी
जीवन से भरपूर
एक आस है कृताश…..

स्वर्णिम पताका लिए
सूरज की उजली भोर
हताशा में गोता लगाते
डूबते के लिए छोर
आशा की सतरंगी लड़ी
सपनों की रिमझिम छड़ी
उत्थान का द्वार,
नवागन्तुक का सत्कार
गगनचुम्बी आशाओं का
वट वृक्ष है कृताश…..।


~अमृता पांडे (३ जनवरी, २०२१)